मुझे याद है कि मैने एक बार पढ़ा था कि कुछ व्यक्ति भाषा का इस्तेमाल विचारों को छुपाने के लिए करते हैं, लेकिन मेरा अनुभव यह रहा है कि उनसे भी अधिक व्यक्ति विचार की जगह भाषा का प्रयोग करते हैं।
एक व्यवसायी की बातचीत, मनुष्य जैसे जीव के किसी भी अन्य कार्य की अपेक्षा, थोड़े और सामान्य नियमों द्वारा नियंत्रित होनी चाहिए। वे हैं:
कहने के लिए कुछ हो।
कह दो।
बातें करना बंद करो।
आप क्या कहना चाहते हो यह जानने से पहले ही बोलना शुरू कर देना और कह देने के बाद भी बोलते ही रहना, एक व्यापारी को या तो एक अभियोग में फँसा देता है या पूरी तरह गरीब बना देता है, और पहला दूसरे तक पहुँचने का एक छोटा रास्ता है। मैने यहाँ एक कानूनी विभाग बना रखा है, और उस पर काफी पैसा खर्च होता है, लेकिन यह मुझे कानूनी झगड़ों से बचाए रखने के लिए है।
यह तब ठीक है, जब तुम किसी एक लड़की से बात करते हो या रात के भोजन के बाद अपने मित्रों से फुरसत में बातचीत को कायम रखने के लिए इधर-उधर की बात करते हो; लेकिन काम पर जितना संभव हो आपके वाक्य संक्षिप्त होने चाहिये। आरम्भिक बात और बात के आखिरी भाग को छोड़ दो, और दूसरे पर पहुँचने से पहले रूको। तुम्हे पापियों को पकड़ने के लिए छोटे धर्मोपदेशों में प्रवचन देना होगा, और पादरी भी यकीन नहीं करेंगे कि उन्हें खुद को लंबे धर्मोपदेशों की ज़रूरत है। मूर्खों को सबसे पहले और महिलाओं को आखिरी बात कहने दो। मीट हमेशा सैंडविच के मध्य में ही होता है। निस्संदेह, इसके दोनो ओर हल्का सा मक्खन लगाने से कोई नुकसान नहीं होगा बशर्ते कि यह एक ऐसे व्यक्ति के लिए है जिसे मक्खन पसंद है।
यह भी याद रखो, अक्लमंदी से बात करने से ज्यादा बुद्धिमान दिखना आसान है। दूसरे व्यक्ति की अपेक्षा कम बात करो, और बात करने से ज्यादा सुनो; क्योंकि जब एक व्यक्ति बात सुनता है तब वह अपने राज़ नहीं खोलता बल्कि जो बता रहा है उसकी झूठी प्रशंसा करता है। यदि तुम आदमियों को एक अच्छा श्रोता और औरतों को पर्याप्त कागज दो तो जो कुछ भी उन्हें पता है वे सब बता देंगें। पैसा बोलता है – पर तब तक नहीं जब तक उसके मालिक की ज़बान खुली हो, और तब उसकी बाते हमेशा अप्रिय होती हैं। गरीबी भी बोलती है, लेकिन जो वह कहना चाहती है उसे कोई सुनने के लिए तैयार नहीं।